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पूर्वांचल बलिया राज्य

सामाजिक उत्तरदायित्त्वों का निर्वाह करें विश्वविद्यालय : प्रो. कल्पलता

जेएनसीयू ने आयोजित किया राष्ट्रीय वेबिनार

बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल शोधपीठ द्वारा ‘वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में विश्वविद्यालयों की भूमिका’ विषय पर रविवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।


इस संगोष्ठी में ‘युवाओं के चरित्र निर्माण में विश्वविद्यालयों के योगदान’ विषय पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय मणिपुर के पूर्व कुलपति प्रो आद्या प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि छात्रों में उदारता, सहृदयता, साहस, निष्ठा व सरलता आदि गुण एक शिक्षक अपने व्यक्तित्व के जरिये विकसित कर सकता है। छात्र उस अवस्था में प्रवेश लेता है, जब उसके व्यक्तित्व के विकास की प्रक्रिया चल रही होती है। ऐसे में विद्यार्थियों के सामाजिक, आर्थिक एवं वैयक्तिक जीवन-मूल्य विकसित किये जा सकते हैं। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि कोविड के दौर में दुनिया के विश्वविद्यालय तेजी से बदल रहे हैं। यह हमारे लिए एक चुनौती है। इसे हमें स्वीकार करते हुए तकनीक और नवाचार पर बल देना होगा। साथ ही हमें भारतीय संस्कृति और जीवन-मूल्य आधारित विशिष्ट पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे। यही विशिष्टता हमें दुनिया के विश्वविद्यालय से आगे ले जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक और नवाचार से महिलाओं को भी जोड़ना होगा ताकि समाज सशक्त हो सके।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि युवाओं के चरित्र निर्माण में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और शोध के अलावा विश्वविद्यालयों को अपने सामाजिक उत्तरदायित्त्वों का भी निर्वाह करना होगा। इस अवसर पर प्रो जेपीएन पाण्डेय, प्रो डीके मदान, प्रो जसवीर सिंह, प्रो प्रवीण जी, डा. प्रतिभा त्रिपाठी, डा. गणेश पाठक, डा. साहेब दूबे आदि उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन डा. रामकृष्ण उपाध्याय व अतिथियों का स्वागत डा. प्रमोद शंकर पाण्डेय ने किया। डा. जैनेन्द्र पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

ऑनलाइन शिक्षा गुरू-शिष्य शिक्षा प्रणाली का विकल्प नहीं

राष्ट्रीय वेबिनार में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली गुरु-शिष्य शिक्षा प्रणाली का विकल्प नहीं हो सकती। हमारे विश्वविद्यालयों के पास संसाधन सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा पूरी तरह से नहीं अपनायी जा सकती। हमें ऑनलाइन और कक्षा- शिक्षण दोनों को साथ लेकर चलना होगा। विश्वविद्यालयों को सामुदायिक- सामाजिक समस्याओं के निदान हेतु नीति-निर्माण में योगदान करना होगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो हरेश प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो साधन संपन्न हैं। ऑनलाइन ऑनलाइन पढाई, परीक्षा और मूल्यांकन करा सकते हैं। लेकिन सभी विश्वविद्यालय ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। विश्वविद्यालयों को अपने संसाधन और सुविधा के अनुरूप निर्णय लेना होगा।

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